पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही दिखावे की संस्कृतिपर विचार व्यक्त कीजिए।


आज के उपभोक्तावादी युग ने समाज में दिखावे की संस्कृति को जन्म दिया है। बाजार में तरहतरह की वस्तुएं भरी पड़ी हैं। जिनकी नुमाइश दुकान के बाहर लगाई जाती है। इस चमकदमक को देख लोग उस वस्तु को खरीदने पर विवश हो जाते हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि जरूरत ना होने पर भी लोग सामान खरीद लेते हैं। ऐसा दिखावे के वशीभूत होकर करते हैं। इतना ही नहीं दिखावे के चक्कर में महंगी वस्तु खरीदने से भी नहीं चूकते। जबकि वही काम कम दाम की वस्तु में भी हो सकता है। जैसे लोग 2 लाख तक की घड़ी खरीदकर पहनते हैं। जबकि समय तो पांच सौ रुपए की घड़ी भी बताती है। पांच सितारा होटल में खाना और महंगे कपड़े पहनना, ये सब दिखावे का हिस्सा है। दिखावे की इस प्रवृत्ति से मनुष्य में आक्रोश और तनाव बढ़ रहा है।


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